रविवार, 24 अप्रैल 2016

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आज मेरे चाचा के मकान का मुहरत है में सुबह 10 बजे वहां पहुंचा तब तक लगभग सभी लोग आ चुके थे माँ पापा भाई तो पहले ही आगये थे
फिर थोडा सा हेल्प मैंने चाचा का करवाया उसके बाद चाचा ने कहा की ऊपर भुआ और उनके बच्चे है आशु उसको सम्भाल लो मैंने उनकी आचे से सेवा की मुझे एक इन्सान का इंतजार रहता है हमेशा मेरी अनीता दी का वो मेरी दिल्ही वाली भुआ की लड़की है मैंने उनको कॉल लगा के पुच्छा तो बताया की वो आ रही है

फिर वो आई और मैंने उनको नास्ता दिया खाना दिया उसके बाद हवन हुआ

हवन के बाद ग्राम भोज करवाया गया लोग आने लगे खाना खाने के लिए लगभग 5 बजे तक सबी काम हो चूका था एक पंडित जी थे पूजा वाले उनको हाथ देखना आता था यार उसके लिए ममा ने मुझे बुलाया तो मैंने पंडित जी वो बता दिया जो वो बताना चहते थे ममा ने पुच्छा की शादी का योग है क्या तो पंडित जी मेरी तरफ देख कर कहा की है बहुत है लेकिन एक रावन है उनके बिच में उसको छोड़ना होगा म जनता हूँ वो कोण है लेकिन म उसको नहीं छोड़ सकता हु यारो

खाना होने के बाद म 6 बजे घर आगया घर ममा ने चाय बनाई मैंने पिया फिर म थोडा सो गया उसके बाद फिर दुबारा उनके घर गया वहां रोटी बनाने वाला आया तो  था लेकिन उससे जल्दी जल्दी नहीं बन रही थि तो मैंने और निकिता (मेरी कसीं) ने साथ में बनवाया उसके मैंने आज भुत टाइम बाद रोटी बनाई थि
फिर मैंने निकिता ने और दीक्षा ( अनीता दी की लड़की ) ने साथ में खाना खाया क्युकी वो खाना नहीं खा रही थि इसलिए उसको साथ बैठाया 

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